चेक बाउंस केस में सिग्नेचर को चैलेंज पर लेकर नया जजमेंट
चेक बाउंस के केस में अगर आरोपी को यह प्रूफ करना है की चेक पर उसकी सिग्नेचर नही है बल्कि किसी और की है और उसकी उस चेक के प्रति कोई भी लायबिलिटी नहीं बनती तो दोस्तो उसको यह प्रूफ करने के लिए क्या करना पड़ेगा और कब करना पड़ेगा तो दोस्तो इसके लिए में आपको सुप्रीम कोर्ट का 29 जनवरी 2024 का एक लेटेस्ट जजमेंट बताता हु तो दोस्तो सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल ही में अजीत सिंह राठौड़ vs स्टेट ऑफ़ गुजरात इस विषय पर अपना फैसला सुनाया तो दोस्तो इस केस में जो अपीलंट था उसने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी तो दोस्तो सबसे पहले जान लेते है की इस केस के फैक्ट्स क्या थे तो दोस्तो इस केस में कंप्लेन्ट के हिसाब से उसको आरोपी ने 10 लाख का चेक दिया था और ट्रायल कोर्ट में आरोपी के द्वारा हैंड राइटिंग एक्सपर्ट से चेक पर की गई सिग्नेचर को जांच कराने की एप्लीकेशन की गई थी जिसको ट्रायल कोर्ट के द्वारा यह बोलकर खारिज कर दिया जाता है की अब केस ऑलरेडी आर्गुमेंट कि स्टेज पर है और उसके बाद उसको केस में दोषी पाया जाता जिसके बाद उसने सेशन कोर्ट में अपील फाइल की ओर उस अपील के दौरान उसने 391सीआरपीसी के तहत अपील की स्टेज पर एडिशनल एविडेंस लेने की परमिशन मांगी और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को सिग्नेचर को जांचने के लिए बुलाने की मांग की ओर साथ ही पोस्ट ऑफिस से भी अधिकारी को बुलाने की मांग की थी उसके अनुसार उसको कभी डिमांड नोटिस मिली ही नहीं थी उसकी इस एप्लिकेशन को भी सेशन कोर्ट और उसके बाद हाई कोर्ट के द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया अब उसके बाद याने की प्रेजेंट अपीलेंट पहुंच गया सुप्रीम कोर्ट के पास अब सुप्रीम कोर्ट के सामने यह प्रश्न आया की कोई पार्टी अगर ट्रायल कोर्ट के सामने अपना पक्ष नही रखती है तो क्या उसको यह अधिकार है की वो अपीलैंट कोर्ट में अपना पक्ष रखने की मांग करे तो सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में यह ऑब्जर्व किया की इस कोर्ट ने पहले ही 391 सीआरपीसी के एप्लीकेशन को तभी मान्य किया जा सकता है जब किसी को ट्रायल कोर्ट के सामने ऐसा करने से रोका जाता ओर उसने वो अपनी बात रखने की पूरी कोशिश की हो और उसके बावजूद भी उसको ट्रायल के मान्य नहीं किया जाता तब ही वो अपील के समय 391 के ऐसी मांग कर सकता है तो यह ओबरसर्वेशन निकलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उसकी पोस्ट ऑफिसर और हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को अपील की स्टेज पर बुलाने की अपील को रिजेक्ट किया और सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया की वो अगर चेक पर की गई सिग्नेचर को चैलेंज कर रहा था तो वो बैंक ऑफिशियल और उसके द्वारा बैंक रिकॉर्ड में को गई सिग्नेचर को भी कोर्ट में बुलाकर अपना बचाव ट्रायल कोर्ट के सामने कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया तो दोस्तो इस केस के द्वारा आपको यह तो समझ आ गया होगा की अगर accused चेक बाउंस के केस में सिग्नेचर को चैलेंज करता होगा या दूसरा किसी भी प्रकार का अपना डिफेंस रखना चाहता होगा तो उसको ट्रायल कोर्ट के सामने ही अपना डिफेंस रखने के लिए हर संभव प्रयास करना पड़ेगा क्योंकि अगर वो ट्रायल कोर्ट में पूरे प्रयत्न नहीं करता तो उसको अपीलैंट् कोर्ट में भी कोई मदत नही मिलेगी